BOOK REVIEW

'पहला सुख निरोगी काया' तथा 'स्वास्थ्य ही धन है।' ये दो पुरानी कहावतें  दुनिया भर में प्रचलित हैं। अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए आजीवन निरोग रहने की कला  पुस्तक के तीसरे   संस्करण में बखूबी सामग्री पढ़ने को मिलती है।  यह पुस्तक एक अनुभवी योग गुरु सेवक जगवानी ने लिखी हैजिनका जन्म 30 मार्च1947  उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला के धार्मिक स्थल वृन्दावन में हुआ।
श्री जगवानी भारत सरकार के उपक्रम केन्द्रीय जल आयोग में बतौर निदेशक के पद  से सेवानिवृत्त हैं।प्राकृतिक चिकित्सा और योग विषय पर  श्री जगवानी के सैकड़ों व्याख्यान आकाशवाणी रेडियो में प्रसारित हो चुके  हैं साथ ही साथ सामूहिक स्थलों पर इन्होंने जनसमूह को भी संबोधित किया है। उक्त पुस्तक में प्राकृतिक चिकित्सा,उपवास, शुद्ध आहारसरल योगासनोंनैतिक शिक्षा और आदर्श दिनचर्या के बारे में अत्यंत महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है।
पुस्तक में कुल 259 पृष्ठ हैं श्री टिक्कन राम शांति देवी न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक की कीमत मात्र 100 रुपए है। इस लाभकारी पुस्तक को मँगवाने के लिए 9899487271 पर संपर्क करें।

 प्रस्तुति: एस. एस. डोगरा

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